Basic Details
Name : Raushan Maithil
State : Mithila (Bihar)
District : Madhubani
DOB : 14-March-1992
Occup. : Business Advisor
Nationality : Indian
Religion : Indian
Cast : Maithil
एक बुनयादी परिचय :
रौशन मैथिल मिथिला स्टूडेंट यूनियन संस्थापक (फाउंडर) हैं। उन्होंने MSU के माध्यम से 2015 में एक गैर-राजनीतिक आंदोलन “एक डेग, विकास लेल” की शुरुआत की है। यह ‘मिथिला स्टूडेंट यूनियन ’ का सामाजिक दर्शन ही है जो उनको, उनकी विचारधारा को और साथ ही उनके आंदोलन को परिभाषित करता है। MSU वर्तमान राजनीतिक व्यवहार के विरूद्ध खड़ा होकर बिहार की राजनीति को पुन: परिभाषित कर रहा है। मैं मज़बूती से यक़ीन करता हूँ कि यह देश जिन सिद्धांतों और मज़बूत नैतिकता के धरातल पर जन्मा था, उन बुनियादी तत्त्वों को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता है। “राजनीति को बदलना होगा क्योंकि लोगों का भविष्य और उनकी भलाई इस पर अब पहले से भी ज़्यादा आश्रित है। हम पीछे छूट जाने का जोखिम नहीं ले सकते। किसी को तो आगे आना होगा। मैं वह ‘किसी’ बनने जा रहा हूँ। मैं राजनीति को पॉज़िटिव, प्रॉडक्टिव और पॉलिसी निर्माण पर केंद्रित करना चाहता हूँ।
पारिवारिक व' शैक्षणिक परिचय :
श्री मैथिल का जन्म बिहार राज्य के मिथिला भूभाग के मधुबनी जिला स्थित बिस्फी प्रखंड के चहुटा पंचायत में एक किसना के घर हुआ . दादा पेशा से किसान और पिता पेशा से एक व्यापारी हैं वंही माता गृहणी होकर घर-परिवार का काम देखती हैं . श्री मैथिल अपने सुरुवाती जिन्दगी से ही सामाजिक कार्यों में रूचि दिखाते थे जिसके कारण उनके दादा जी उन्हें हमेशा किसी-न-किसी सामाजिक कार्यों में ले जाया करते थे और इसके फलस्वरूप अपने किशोरा अवस्था में ही श्री मैथिल उस वक्त के ग्रामीण कई संस्था में पदाधिकारी बन संस्कृति और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से समाज का सेवा किया करते थे. श्री मैथिल अपने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा गाँव के ही एक सरकारी स्कूल से हाशिल किया और अपने उच्च शिक्षा के लिए पटना आ गए, यहाँ इन्होने कॉमर्स में ग्रेजुएट हाशिल की और आगे के प्रोफेशनल पढाई के लिए देश के राजधानी दिल्ली के तरफ रुख किया. श्री मैथिल को अपने फील्ड में कुछ बेहतर करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया (icai) में चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की पढाई करने के लिए दाखिला ली और अपना पढाई जारी रखा .
सामाजिक परिचय :
श्री मैथिल जब दिल्ली में CA का पढाई कर रहे थे उस वक्त महज उनका उम्र 21 वर्ष था और अचानक एक दिन उन्हें किसी से जानकारी मिला की मिथिला राज्य के निर्माण के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर मैथिलों द्वारा धरना का आयोजन होने वाला है, श्री मैथिल ने बिना कुछ सोचे- समझे इस धरना में शामिल हुआ और बड़े गौर से वहां लोगो के भाषण को सुना और समझा. सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से मिथिला मजबूत होने के बाद भी आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं ये बात इनके दिमाग में घर कर गया और धीरे-धीरे इनके दिमाग में अपने जन्मभूमि के प्रति प्यार और स्नेह बढ़ने लगा—(रौशन मैथिल जी के ही जुबानी सुनते हैं आखिर उस वक्त क्या हुआ )
मै रौशन मैथिल हूँ ,आज मैं आपको मेरे मिथिला आन्दोलन में भागीदार होने का कहानी बताता हूँ. सुबह का समय था मैं तैयार होकर अपने एकाउंटेंसी का क्लास लेने गया मेरे दिमाग में उस वक्त बार- बार मिथिला के प्रति विचार उत्पन्न हो रहा था इसीलिए मै हर वक्त मैथिलों के खोज में रहता था. मुझे ये जानकर हैरानी हुआ की जहाँ मैं पढता हूँ वो शिक्षक मिथिला से थे और 400 छात्रों में लगभग 300 से अधिक छात्र मिथिला से थे उस वक्त मेरे दिमाग में जैसे एक लाइट ब्लिंक किया और सोचने पर मजबूर कर दिया की
आखिर क्यों हम यहाँ दिल्ली में पढ़ रहे हैं…?
जब शिक्षक मिथिला से, छात्र मिथिला से फिर रिसोर्सेज दिल्ली को क्यों दे रहे हैं..?
अब प्रश्न तो प्रश्न होते है उसे उत्तर चाहिए और उत्तर के लिए मैं भटकना सुरु कर दिया एक कहावत है आप अगर सच्चे मन से किसी उदेश्य के लिए काम करेंगे तो सफलता आपको जरुर मिलेगी. मेरे खोज के दरमियाँ मुझे बहुत ऐसे लोग मिले जो मिथिला के लिए सचेत या अचेत रूप से काम कर रहे थे मैं भी उनके साथ हो लिया और अपने क्षेत्र के लिए काम करना सुरु कर दिया लेकिन 1-2 वर्षों में ही मुझे ये समझ में आ गया की मिथिला आन्दोलन में उर्जा की जरूरत है जो सिर्फ एक युवा लगा सकता है और उस वक्त तक मिथिला आन्दोलन में युवा का बहुत ही कमी देखा जा सकता था साथ मिथिला के विकास के लिए एक भी संगठन कार्य नहीं कर रहा था . उस वक्त तक मेरे कई साथी भी बन गए थे जैसे श्री अनूप मैथिल जी, श्री नितीश कर्ण जी, श्री कमलेश मिश्रा जी, श्री रजा राय जी और भी बहुत लोग. हमने सोचा की क्यों न एक नये संगठन का निर्माण किया जाये जिसमें मिथिला के क्षेत्र और छात्र के विकास का बात हो और जमीनी स्तर पर काम किया जाए—मेरे विचार को नितीश कर्ण जी, अनूप मैथिल जी, कमलेश मिश्रा जी और रजा राय ने इसे उदेश्य में परिवर्तित किया और हम पांच ने मिलकर 17 जनवरी 2015 (सरस्वती पूजा) के दिन मिथिला स्टूडेंट यूनियन का गठन किया.
उपरोक्त पैराग्राफ श्री मैथिल ने खुद अपने बारे में लिखा हैं , श्री मैथिल ने सुरुवात में मिथिला स्टूडेंट यूनियन में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष का पद संभाला ठिक एक वर्ष बाद उपाध्यक्ष और एक वर्ष बाद फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद निर्वहन किया. श्री मैथिल के पदासीन रहते MSU ने 12 राज्यों में अपना विस्तार किया और 5 लाख से अधिक सदस्य के साथ सैकड़ो आन्दोलन, धरना, अवेरनेस कैंपेन किया जिसके फलस्वरूप आज भारत के हर मैथिल बहुल्य क्षेत्र तक मिथिला स्टूडेंट यूनियन के प्रसार हो गया हैं और यूनियन के उदेश्य को लोग जीते हैं. श्री मैथिल ने 2019 के मार्च में पद मुक्त होकर यूनियन के दिशानिर्देश कमेटी हेड के रूप में समाज व’ यूनियन को अपना सेवा लगातर जारी रखा और चीनी मिल, मिथिला विकास बोर्ड, दरभंगा एअरपोर्ट समेत कई आन्दोलन में अहम् भूमिका निभाए.
श्री मैथिल इस दृढ विश्वास रखते है की मिथिला का सर्वांगीन विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं, श्री मैथिल तत्कालीन मिथिला स्टूडेंट यूनियन द्वारा बनाए गए “मिथिलावादी पार्टी” के राष्ट्रीय महासचिव हैं.