About Raushan Maithil :
रौशन मैथिल मिथिला स्टूडेंट यूनियन संस्थापक (फाउंडर) हैं। उन्होंने MSU के माध्यम से 2015 में एक गैर-राजनीतिक आंदोलन “एक डेग, विकास लेल” की शुरुआत की है। यह ‘मिथिला स्टूडेंट यूनियन ’ का सामाजिक दर्शन ही है जो उनको, उनकी विचारधारा को और साथ ही उनके आंदोलन को परिभाषित करता है। MSU वर्तमान राजनीतिक व्यवहार के विरूद्ध खड़ा होकर बिहार की राजनीति को पुन: परिभाषित कर रहा है। मैं मज़बूती से यक़ीन करते हूँ कि यह देश जिन सिद्धांतों और मज़बूत नैतिकता के धरातल पर जन्मा था, उन बुनियादी तत्त्वों को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता है। “राजनीति को बदलना होगा क्योंकि लोगों का भविष्य और उनकी भलाई इस पर अब पहले से भी ज़्यादा आश्रित है। हम पीछे छूट जाने का जोखिम नहीं ले सकते। किसी को तो आगे आना होगा। मैं वह ‘किसी’ बनने जा रहा हूँ। मैं राजनीति को पॉज़िटिव, प्रॉडक्टिव और पॉलिसी निर्माण पर केंद्रित करना चाहता हूँ। Read More…
मिथिला और मैथिली के सर्वंगीन विकास के लिए सतत प्रयासरत रौशन मैथिल जी मिथिला स्टूडेंट यूनियन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूनियन दिशा निर्देश कमेटी के हेड रह चुके है. श्री मैथिल अभी यूनियन द्वारा समर्थित “मिथिलावादी पार्टी ” के राष्ट्रीय महासचिव हैं. श्री मैथिल का मानना हैं की “मिथिला क्षेत्र में मेरा जन्म हुआ जिसके कारण यहाँ के लोगो, संस्कृतियों और सामाजिक मान्यताओ के साथ मेरा जीवन जुट गया हैं और इसका विकास करना मेरा प्रथम उदेश्य में एक हैं ” मिथिला के विकास बिना राजनितिक इक्षाशक्ति के संभव नहीं है इसीलिए मैं मिथिला के युवाओं से आह्वान कर रहा हूँ की आइये और अपने क्षेत्र के उन्नति में अपना योगदान दीजिये Read More …
बिहार में राजनीति की बात करना आपको बहुत मुश्किल में डाल सकती है। लेकिन अगर आप यह नहीं करेंगे तो यह राजनीति बाक़ी सबों को समस्याग्रस्त बनाए रखेगी। अभिजात्य राजनीतिक वर्ग अपने फ़ायदे के लिए यथास्थिति बनाए रखने में सफल रहा है। राजनीति आज वैसी सभी चीज़ों का प्रतिनिधित्व करती है जिनसे एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति दूर रहना चाहेगा, और मैं कोई अपवाद नहीं हूँ। लेकिन यह वह राजनीति नहीं है जैसा इसे होना था। राजनीति भ्रष्टाचार, जोड़-तोड़ और धोखाधड़ी का कोई पर्याय नहीं है बल्कि सैद्धांतिक रूप से इसका मतलब सक्षम तरीक़े से उपलब्ध संसाधनों का पुनर्वितरण है। राजनेताओं ने हमारी राजनीति की समझ को इतना तोड़-मरोड़ दिया है कि यह विश्वास करना असम्भव हो गया है कि इससे कुछ भला हो सकता है या समाज के लिए बोलने वाले किसी व्यक्ति पर भरोसा किया जा सकता है – ‘यह हो ही नहीं सकता और ज़रूर इसका कुछ निहित स्वार्थ है’। नहीं..? यह सच है कि राजनेताओं पर विश्वास न करने के लिए हमें गुनहगार नहीं माना जा सकता क्योंकि स्वतंत्रता के बाद उन सबों ने हमें असफल ही साबित किया है Read More…
आप मिथिला को दया के दृष्टि से देख सकते है , आप मिथिला का उपहास कर सकते है, आपको यहाँ के लोग में कुछ न करने की ललक मिल सकता है लेकिन ऐसा नहीं हैं मेरा मानना है की व्यक्ति या समाज का विकास उसके राजनितिक सोच पर निर्भर करता है. दिल्ली, महारष्ट्र या अन्य राज्य का विकास कैसे हुआ ? जब इसका अध्यन करेंगे, तो आप पाएंगे की इसके पीछे सिर्फ एक अच्छा राजनितिक सोच था. जब हम विजन का बात करते है तो एक शब्द में कहा जा सकता है मै मिथिला के विकास का बात कर रहा हूँ. लेकिन यहाँ प्रश्न यह है की, विकास का पैमाना क्या है ? तो मै कहूँगा की रोजी-रोटी के लिए लोगो को अपने जन्मभूमि से दूर ना जाना ही उचित विकास के श्रेणी में आता हैं. अब सोचिये की एक ऐसा क्षेत्र जहाँ 7 करोर पब्लिक का बाजार है, सस्ते लेबर है, बहुतायत में नदिया बहती है और कृषि और इंडस्ट्री के लिए प्रचुर मात्रा में जमीन हैं फिर ऐसा क्या हुआ की लोग दो वक्त के रोटी के लिए दर-व-दर भटक रहे हैं ? क्या हुआ की दुसरे राज्यों में जाकर खाते है ? Read more…
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