About Raushan Maithil :

We Worked on :

मिथिला विकास बोर्ड
डेवलपमेंट बोर्ड किसी क्षेत्र विशेष के लिए बनाया गया ऐसा संवैधानिक तंत्र है जो एक राज्य के अंतर्गत आने के बावजूद उस क्षेत्र विशेष के विकास कार्यों से सम्बंधित प्रोजेक्ट्स बना सके और काम कर सके। जैसे की गुजरात-महाराष्ट्र में तीन-तीन सेपरेट डेव्लपमेंट बोर्ड हैं, विदर्भ-मराठवाड़ा और शेष महाराष्ट्र, गुजरात में कच्छ-सौराष्ट्र और शेष गुजरात। ये सभी डेवलपमेंट बोर्ड राज्य के प्रशासन में बिना इंटरफेयर किए उस क्षेत्र के विकास से सम्बंधित कार्य करती है। यदि मिथिला में डेवलपमेंट बोर्ड बनता है तो यह क्षेत्र के कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, भाषा-कला-संस्कृति-पर्यटन सम्बंधित प्रोजेक्ट्स, बाढ़-सुखाड़-आपदा सम्बंधित प्रोजेक्ट्स, सोशल रिफॉर्म्स जैसे विषयों पर काम कर सकती है।
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चीनी मिल आंदोलन
आजाद भारत में मिथिला को क्या मिला ? दलिद्रता, गरीबी, कुपोषण, पलायन और कुछ मजदूरों को ढोने वाली रेलगाड़ी, वो भी भी रेल पटरी गुलामी के दौर में बनी थी, जब इस देश के 80% लोगो ने रेल की पटरियों को देखा भी नहीं था I हम तो गुलामी के दौर में ही संपन्न थे, आज तो कंगाल हो गए है. हमारे लिए आजादी कंगाली को लेकर आया और हमारे सरे कारखाने बंद हो गए. हम चीनी मिल की बात इसलिए कर रहे है, क्योंकि एक तो गन्ना नकदी फसल हैं, दूसरी बात बाढ़-सुखार गन्ना आसानी से झेल लेता है और तीसरी बात गन्ना उपजाने के लिए एक इंच भी जमीन अधिग्रहण करने की जरुरत नहीं हैं.
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दरभंगा AIIMS आंदोलन
एक समय था जब रोटी, कपडा और माकन को बेसिक नीड कहा जाता था लेकिन आज के समय में शिक्षा, स्वास्थ और एनर्जी ने अपना अपना महत्व बना लिया है और ऐसे में मिथिला के 7 करोर आबादी को सिर्फ एक बदहाल स्थिति के dmch पर छोड़ देना सत्ता के नाकामी को दर्शाता है. कोरोना जैसे महामरी ने हमें सिख दिया की स्वास्थ के उत्तम व्यवस्था हर राज्य को करना होगा नहीं तो लोग बेमौत मारे जायेंगे, मिथिला के एक बड़ी आबादी सिर्फ स्वास्थ्य संबंधी सुविधा के लिए बिहार से पलायन करता हैं और दिल्ली अईम्स के चक्कर कटता हैं ऐसे में जरुरी है की मिथिला को अपना अईम्स मिले .
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प्राथमिक शिक्षा में मैथिली
ये विडंबना नहीं तो और क्या है ? जिस भाषा को दशकों पहले संविधान के अष्टम अनुसूची में स्थान मिल गया हो, जहाँ बिहार के आधा से ज्यादा आबादी मैथिली बोलता हो, जिस भाषा का अपना गौरवशाली इतिहास हो और साथ ही विश्व के सबसे मधुर भाषा में गिनती हो उस भाषा में अभी तक बिहार के प्राथमिक स्कूल में पढाई नहीं हो रहा हैं. बगल के राज्य झारखण्ड में मैथिली को द्वितीये राज्य भाषा का दर्जा देकर सम्मानित किया लेकिन बिहार सरकार ने आज तक मैथिली के बधाबा में अपना एक कदम भी आगे नहीं बढाया. महान कवी विद्यापति जी कहते है "मैथिल बयना सब जन मिट्ठा" अर्थात...
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Our Achievements :

दरभंगा एअरपोर्ट
वर्ष 2015, जब हमने मिथिला स्टूडेंट यूनियन का नीव ही डाला था उसी वक्त से दरभंगा में एअरपोर्ट का निर्माण हो और पुरे भारत के लिए यहाँ से संचालन हो का हमारा अहम् मुद्दा रहा है. धीरे-धीरे हमने इसपर काम करना सुरु किया लाखो सिग्नेचर, हजारो मेल, सैकड़ो आंदोलन, जेल, FIR के बाद सैकड़ो बार
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